Thursday, 26 May 2016

सॉरी अजय देवगन, हम 'आहत प्रधान' देश के नागरिक हैं

क्या चल रहा है?


कृषिप्रधान तो हम रहे नहीं, ‘आहतप्रधान’ देश होते जा रहे हैं. अजय देवगन की नई फिल्म के पोस्टर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का. देवगन समेत फिल्म के कर्ता-धर्ताओं के खिलाफ शिकायत कर दी गई है. ये फिल्म है ‘शिवाय’. 28 अक्टूबर 2016 को रिलीज होगी. 

20 मई को ‘शिवाय’ का पहला पोस्टर रिलीज़ हुआ. बर्फीला सा पोस्टर है. नीला-सफेद बैकग्राउंड है. पहाड़ है. पहाड़ चढ़ते हुए हुए सिर्फ एक हाथ दिखता है. ग्लव्स पहना हुआ हाथ. उस पर भी बर्फ के फाहे पड़े हुए हैं. ये पहला पोस्टर था. अजय देवगन ने अपने twitter अकाउंट पर इसे शेयर किया.
फिर दूसरा पोस्टर आया. वही बर्फीला तूफान. और वही दस्तानों वाला हाथ. लेकिन इस बार उस हाथ में था बर्फ से बनी त्रिशूल जैसी कोई चीज.
लेकिन बवाल हुआ तीसरे पोस्टर पर.  23 मई को ही पहला टीज़र पोस्टर आया था.
एक ऊंचे से पहाड़ से एक हुक लटका है. उसे पकड़ कर लटके हैं, अजय देवगन. उनके हाथ में गंड़ासे जैसा कोई अस्त्र है. लोगों का मानना है कि इससे वो पहाड़ी राक्षस से लड़ रहे हैं. पीछे हेलिकॉप्टर उड़ रहा है. विस्फोट हो रहे हैं. हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों जैसे इफेक्ट्स लग रहे हैं. और इन सब को जिस आउटलाइन के डिब्बे में बंद किया गया है वो तपस्या करने बैठे शंकर भगवान की आकृति है.
पोस्टर के ऊपर लिखा है,
This Diwali, there will be destruction.
इस पोस्टर को दिल्ली में वकील मनमोहन सिंह ने देखा. अपनी भावनाएं आहत कर लीं और तिलक नगर पुलिस स्टेशन, दिल्ली में इसके खिलाफ कंप्लेंट कर दी.
उनका कहना है कि इस पोस्टर में शंकर जी की आकृति में अजय देवगन ‘जूते’ पहने दिखाई दे रहे हैं. आरोप है कि हाथ में लिए अस्त्र से वो शंकर जी के सिर पर वार कर रहे हैं. पीछे हेलिकॉप्टर हैं. बम विस्फोट हो रहे हैं. इससे शंकर जी का अपमान हो रहा है और लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. 
पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है. पहले जांच होगी. उसके बाद ही कोई एक्शन लिया जायेगा.

क्या है ‘शिवाय’

अजय देवगन शंकर जी के भक्त हैं. लेकिन वो कहते हैं कि ये फिल्म कोई माइथोलोजिकल फिल्म नहीं होगी. इस फिल्म में शंकर जी की उन बातों का ज़िक्र होगा जो उन्हें इंसानों के करीब लाती हैं. जैसे वो भांग पीते थे. उनको डांस करना बहुत पसंद था. गुस्सा बहुत था उनमें. और यही सब बातें उनको लोगों का सबसे चहेता भगवान बनाती हैं. ये बातें उन्हें और स्ट्रांग बनाती हैं.  ‘शिवाय’ में शंकर जी के इसी पक्ष के आधार पर इस दौर की ही एक कहानी दिखाई जाएगी.

लोग गए, श्री श्री गए, फेस्टिवल खतम, अब बचा क्या, अब बचा क्या ?

तीन रोज का वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल खत्म हुआ. 155 देशों के लोग आए थे. माहौल छुटके के कनछेदन वाला था. तीन दिन में सब पहुंचे. प्रधानमंत्री भी, लोकसभा स्पीकर भी. महेश शर्मा पहुंचे, हर्षवर्धन, अमित शाह, वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद और सुरेश प्रभु पहुंचे. राजनाथ और सुषमा स्वराज भी. इतने नेता थे कि चाहते तो सदन के एकाध सत्र वहीं हो सकते थे. विपक्ष की चिंता न कीजिए, केजरीवाल भी थे.
रविशंकर का होल स्क्वायर
कार्यक्रम के पहले NGT ने अड़ंगा लगाया था. 100 करोड़ के जुर्माने की बात चली थी, फिर 5 करोड़ हुआ, फिर 25 लाख पर बात आई. मुझे तो लग रहा था, अंत में रविशंकर NGT के गाल खींचेंगे, 5 रुपिया का कलदार और संतरा  वाला बिस्कुट देके चले जाएंगे.  लेकिन अब क्या? अब तो कार्यक्रम खत्म हो गया है. अब पीछे क्या रह गया?

तो रह गई हैं 70 FIR, ढेर सा कूड़ा और अकहाय बयान

खूब चोट्टे आए थे भगवान तक को नहीं छोड़ा 
लैपटॉप, पैसे, मोबाइल यहां तक कि भगवान गणेश जी की मूर्ति तक चोरी हो गई, तीन दिन में 70 से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं. 30 लोगों  को  धरा  भी  गया  है, जमुना  तीरे  से , चोरकटई करते  हुए. किसी का ग्रीन रूम से मोबाइल चोरी हो गया, किसी के जेब से पैसे.
कूड़ा 
हम इंसान हैं, चांद पर भी जाते हैं तो कूड़ा छोड़ आते हैं, फिर ये तो दिल्ली थी. लाखों लोग आए थे, गए तो पीछे यही रह गया. 15 गाड़ियां और 60 जने लगे हैं, साफ़ कर रहे हैं. बात ये कि आए थे यमुना की सफाई के नाम पर, यमुना जो साफ़ हुई हो दिख ही रही है. अब अपना फैलाया कूड़ा बटोर रहे हैं.
पंचायत
एक हैं जगतगुरु,  द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती. वही वाले जिनने एक रिपोर्टर को लपाड़ा मार दिया था. ये पूछने पर कि मोदी पीएम बनेंगे या नहीं. तो उनने कहा. दिखावा है रविशंकर का कार्यक्रम. तीन दिन में यमुना को इतना गंदा किया है कि सालों में साफ़ न होगी. आर्ट कह देने से थोड़े न कुछ होता है. प्रधानमंत्री पता नहीं काहे उसके कार्यक्रम में गए, वहां जाने से कुछ नहीं होगा. वो बाल रंगते हैं . लंबा कुर्ता पहनते हैं, लोग उन पर फूल बरसाते हैं. ये जीने की कला नहीं है.


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राजस्थान का सबसे बड़ा गुंडा AK-47 लेकर बकरियां चुरा रहा है

बमचक कटी है इनके चक्कर में........................


पिछले आठ महीने से राजस्थान में आनंदपाल सिंह की फरारी का मामला चर्चा में है. अखबारों के पहले पन्ने, पुलिस और सरकारी मीटिंग्स इसी केस में उलझे हैं. कोई नाकेबंदी काम नहीं आ रही. पिछले दिनों पुलिस ने कार में सोते हुए उसके दोस्त गैंगस्टर सुभाष मूंड को पकड़ा तो ज्ञात हुआ कि पांच लाख का ईनामी गैंगस्टर आनंदपाल सीने पर बुलेट प्रुफ जैकेट पहने और हाथों में एके-47 लिए खेतों में किसानों की बकरियां चुरा रहा है.
बकरियों को कभी पकाकर खाता है तो कभी बेचकर अपना गुजारा कर रहा है. बीकानेर, नागौर या शेखावाटी के खेतों में, तो कभी गाड़ियों में वो दिन और रात गुजार रहा है.
उसके परिवार और रिश्तेदारों को भी पुलिस ने पकड़ा लेकिन उसे पकड़ने में नाकामयाब रही तो हर जगह से पुलिस हटा ली गई है. अब आनंदपाल ने अपनी मां और प्रेमिका के जरिए अपील करवाई है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह ने जयपुर में राज्यपाल कल्याण सिंह से मुलाकात की और कहा कि सुरक्षा दी जाए तो आनंदपाल सामने आने और सरेंडर करने को तैयार है.
वकील ने तो ये भी कहा कि आनंदपाल देशभक्त है, उसने पंचायत चुनाव लड़ा और उसके बाद नेताओं ने अत्याचार कर उसे जुर्म के दलदल में धकेला. उसकी कथित प्रेमिका अनुराधा चौधरी एक साफ्टवेयर इंजीनियर है और आगे आई थी लेकिन जेल में बंद है. सोचा जा रहा है कि अपनी प्रेमिका पर जुल्म की कहानी सुनकर शायद आनंदपाल बाहर आ जाएगा.
वकील एपी सिंह ने राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी चिट्ठी दी जिसमें कहा है कि निष्पक्ष जांच करवाई जाए क्योंकि आनंदपाल और उसकी प्रेमिका ने कोई अपराध नही किया है. कि उसके खिलाफ ये आरोप गलत हैं कि उसने एके-47 से गोलियां चलाकर पुलिसवालों को घायल किया और भागा.
सिंह का कहना है कि आनंदपाल नहीं भागता तो उसके साथी बलवीर बनूड़ा की तरह उसका दुश्मन राजू ठेहट जेल में उसे भी मरवा देता.

गैंगस्टर और उसकी फरारी की कहानी

1. आनंदपाल राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील के छोटे से गांव का रहने वाला है. लूट, वसूली, मर्डर और गैंगवार के 24 मामलों में वो शामिल है.
2. उसकी महत्वाकांक्षा लिकर किंग बनने की भी बताई जाती है. जिसके कारण विरोधी गैंग से उसकी लड़ाई होती है. बीकानेर जेल में पिछले साल उसका गैंगवार हुआ था. उसे भी गोली लगी थी.
3. कहा जाता है कि वो हथियारों और खून-खराबे के सहारे राजस्थान के अपराध जगत में पहले नंबर पर आना चाहता है.
4. अपराध की दुनिया में उसका प्रवेश 2006 में हुआ. उसने तब डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोली मारकर हत्या कर दी थी. डीडवाना में दर्ज 13 मामलों में से 8 में उसे भगौड़ा घोषित किया हुआ है.
5. सीकर में हुए गोपाल फोगावट हत्याकांड में भी उसी का हाथ बताया जाता है. ये मामला विधानसभा में उठा था.

6. जून, 2011 में उसने बीकानेर के सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलीबारी की. तीन लोग घायल हुए. आरोप है कि उसी दिन उसने गनौड़ा जगह में शराब ठेके पर सेल्समैन के भाई को मार दिया.
7. उसके नाम के ऐसे अनेक किस्से शेखावाटी क्षेत्र में हीरोइक तरीके से चाव से सुने-सुनाए जाते हैं जहां का आनंदपाल रहने वाला है.
8. पहले वह बीकानेर और फिर अजमेर जेल में बंद था. 3 सितंबर 2015 को आनंदपाल और उसके साथी सुभाष मूंड की नागौर कोर्ट में पेशी थी. पुलिस वैन में उसे फिर अजमेर सेंट्रल जेल लाया जा रहा था.
9. लौटते हुए आनंदपाल ने पुलिस वालों को मिठाई खिलाई जिससे उन्हें नशा आ गया. आगे उसके साथियों ने सड़क रोक ली और गोलियां चलाते हुए उसे भगाकर ले गए. इसमें एक पुलिसकर्मी मारा गया.
10. तमाम पुलिस महकमे की सक्रियता के बावजूद वह किसी के हाथ नहीं आया है. अब ज्ञात हुआ है कि वो शेखावाटी और नागौर के गावों-खेतों में भागता फिर रहा है. बकरियां चुराते हुए.
 

Wednesday, 25 May 2016

तब क्या कर रही थीं, आज की हिरोइनें ?

झमाझम 
Huge age gap between these bollywood co-stars
बॉलीवुड की माया अनोखी है जहां न रिश्तों की सीमा है, न उम्र का है बंधन. ‘बड़े-बड़े’ कलाकारों ने नवयौवनाओं के साथ रोमांस किया है.
हाल ही में भाईजान सलमान खान अपने से 20 साल छोटी सोनम कपूर के साथ प्रेम रतन धन पाते नजर आए. ये एज डिफरेंस अब आम चीज हो गई है. लेकिन जो आम नहीं है, वो हम बताते हैं. आपको सुनाते हैं कुछ मजेदार फैक्ट जो हीरो हीरोइन की उम्र के फर्क ने पैदा किए हैं. नहीं समझ आया तो नीचे पढ़िए प्लीज.

1

दीपिका पादुकोण जब पैदा हुईं, साल 1986 में, तब तक रजनी अप्पा 116 फिल्में कर चुके थे.

फिल्म: कोचादैयां

2

जब दीपिका पादुकोण पैदा हुई थीं, तब रजनीकांत की बेटी ऐश्वर्या चार साल की थीं.


3

जब अनुष्का शर्मा बालिग नहीं हुई थीं, तब शाहरुख खान पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जा चुके थे.

फिल्म: रब ने बना दी जोड़ी

4

जब सोनम कपूर स्कूल में लड़कों को ‘बुली’ करती थीं, उन्हें धकियाकर और पीटकर खुश महसूस करती थीं, तब सलमान खान की ‘हम आपके हैं कौन’ 70 करोड़ रुपये कमाकर उस समय की सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म बन चुकी थी.

फिल्म: प्रेम रतन धन पायो

5

जब प्राची देसाई 5 साल की थीं, तब तक संजू बाबा की 49 फिल्में रिलीज हो चुकी थीं और वह अवैध रूप से एके-56 रखने के आरोप में अंदर भी हो चुके थे.

फिल्म: पुलिसगीरी

6

जिस साल ऋषि कपूर को तहलका मचाने वाली फिल्म ‘बॉबी’ के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड मिला, मासूम आंखों वाली दिव्या भारती उसी साल पैदा हुईं.

फिल्म: दीवाना

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BJP नेत्री के नाम पर शेयर हो रही है इनकी फोटो, जानिए कैसे हुईं Fat to Fit

असम में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची एक्ट्रेस और मॉडल अंगूरलता डेका अपनी खूबसूरती को लेकर काफी चर्चा में हैं। सोशल मीडिया पर रोज अंगूरलता की नई-नई फोटो शेयर हो रही है, लेकिन इन फोटोज में एक फोटो ऐसी भी है जो उनकी है ही नहीं। जिस लड़की की फोटो शेयर हो रही है, उनका नाम सपना व्यास पटेल है।कौन है सपना और क्या करती है...
- सपना एक फिटनेस ट्रेनर हैं और वे गुजराज के अहमदाबाद में रहती हैं।
- 26 साल की इस गुजराती गर्ल का वजन कभी 86 किलो हुआ करता था।
- इन्होंने एक साल की कड़ी मेहनत से 33 किलो वजन कम किया।
- एक इंटरव्यू में सपना ने बताया था कि जब मै 19 साल की थी, तब लोग मुझे वजन को लेकर ताना मारते थे।
- उन्होंने बताया था कि लोगों के कमेंट के बाद मुझे लगा कि इस उम्र में मुझे ऐसा नहीं दिखना चाहिए।
- सपना ने बताया कि इसके बाद मैंने फैसला किया मुझे अपना वजन कम करना है।
- उन्होंने बताया कि पहले मैंने डाइट करना शुरू किया, लेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं हुआ।
- उन्होंने बताया कि मैं जल्द अपना वजन कम करना चाहती थी, इसलिए फिटनेस ट्रेनिंग शुरू की।
- सपना ने अपना वजन बिना किसी दवा या जिम जाकर कसरत किए कम किया।
- उन्होंने न केवल अपना वजन घटाया, बल्कि आज वे एक सर्टिफाइट ट्रेनर भी हैं।
- सपना आज इंस्टाग्राम, फेसबुक समेत कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक्टिव हैं और अपनी फोटोज शेयर करती रहती हैं।


BJP नेत्री के नाम पर शेयर हो रही है इनकी फोटो, जानिए कैसे हुईं Fat to Fit






BJP नेत्री के नाम पर शेयर हो रही है इनकी फोटो, जानिए कैसे हुईं Fat to Fit


सपना एक सर्टिफाइड फिटनेस ट्रेनर हैं।


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हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रहस्यमयी शिवलिंग पर मचा बवाल

हैदराबाद यूनिवर्सिटी में नया बवाल खड़ा हो गया है. यूनिवर्सिटी मेन गेट के सामने गार्डन में एक रहस्यमयी शिवलिंग तनाव की वजह बन गया है. सोमवार को लोगों को इस शिवलिंग और नंदी के बारे में पता चला. इससे पहले बौद्ध भिक्षुओं को कैंपस में घुसने से मना कर दिया गया था. इसके बाद करीब 50 छात्रों ने मिलकर कुछ प्रोफेसर्स के साथ यूनिवर्सिटी गेट के बाहर बुद्ध जयंती मनाई थी.

किसी को खबर नहीं कहां से आया शिवलिंग

अचानक से सामने आए शिवलिंग के बारे में यहां रह रहे प्रोफेसर कह रहे हैं कि हमें नहीं पता ये कब आया. स्टूडेंट्स का एक गुट इसे ब्राह्मणवादी ताकतों की साजिश बता रहा है. यूनिवर्सिटी को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. जब शिकायत हुई तो वो भी सकते में आ गई.

गैरकानूनी ढांचों को हटाने का यूनिवर्सिटी ने किया था फैसला

ये शिवलिंग यूनिवर्सिटी के सारे गैरकानूनी ढांचों और टेंट्स को हटाये जाने के फैसले के बाद सामने आया है. इस फैसले के बाद वेलिवाडा यानी रोहित का स्मारक, और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने रोहित की याद में, यूनिवर्सिटी के बीच में जो दलित बस्ती बनाई है. उसे भी हटाया जाना था. ये वहीं बनी है जहां रोहित वेमुला ने अपने आखिरी दिन गुजरे थे.

जॉइंट एक्शन कमेटी में गुस्सा

जॉइंट एक्शन कमेटी की प्रमुख सदस्य अर्पिता जया का कहना है, हमें जब इसके बारे में पता चला तो हमें बहुत बुरा लगा. वो भी जब सरकार लगातार रोहित स्तूप और वेलिवाडा को निशाना बना रही है. वे एक दशक से यूनिवर्सिटी में हैं. कहती हैं कभी ऐसा नहीं हुआ.

यूनिवर्सिटी की जद में है जगह

संवैधानिक रूप से सभी सरकारी संस्थाएं सेक्युलर हैं. अचानक से शिवलिंग के सामने आने से स्टूडेंट्स के बीच हलचल मच गई है. मुश्किल से यूनिवर्सिटी के मेनगेट से 200 मीटर दूर इसे एक ऐसे गार्डन में रखा है. जिसका रख-रखाव यूनिवर्सिटी करती है.

टीचर्स में भी गुस्सा

एससी/एसटी टीचर्स फोरम की प्रवक्ता श्रीपथी रामदू कहती हैं, कुछ दिनों से यूनिवर्सिटी के अंदर और बाहर बहुत सारा निर्माण-कार्य चल रहा है. पर अब तक मैंने यूनिवर्सिटी के बाहर कभी कोई शिवलिंग और नंदी नहीं देखा था. जबकि 2009 से ही मैं यूनिवर्सिटी में हूं.

यूनिवर्सिटी में बैन होते हैं धार्मिक मामले

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एम सुधाकर ने कहा है सरकारी संस्था होने के नाते हमें संविधान का पालन करना होगा. जब संविधान की प्रस्तावना में ही लिखा है कि देश धर्मनिरपेक्ष है. तो धर्म से जुड़ा कोई भी मसला कैंपस में नहीं उठना चाहिए. यूनिवर्सिटी स्पेस में किसी भगवान की तस्वीर की भी नहीं अनुमति है. अपने रहने के स्थानों पर स्टूडेंट्स को अपने धर्म के हिसाब से रहने की आजादी है. बहरहाल इस मामले की पूरी जांच के बाद ही सोचा जायेगा कि शिवलिंग और नंदी का क्या करना है?

पहले भी हुआ है बवाल

कुछ दिनों पहले शुक्रवार की नमाज पढ़ने के लिए कुछ मुस्लिम स्टूडेंट्स ने एक दीवार खड़ी की थी. कुछ सिख स्टूडेंट्स ने भी परिसर के अंदर ही गुरुद्वारा बनाने की अनुमति मांगी थी. तब यूनिवर्सिटी अथॉरिटी ने मुस्लिम स्टूडेंट्स को दीवार हटाने और सभी तरह के धार्मिक ढांचे बैन करने का आदेश जारी किया था.

जलाई गयीं वीसी के फैसले की कॉपियां

सोमवार की रात जॉइंट एक्शन कमेटी ने वीसी के उस फैसले की कापियां जलायीं जिसमें स्टूडेंट यूनियन को सभी गैरकानूनी ढांचों और टेंट को हटाने को कहा गया था. स्टूडेंट्स ने फिर से टेंट लगा लिए हैं. और एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ प्रोटेस्ट पर बैठ गए हैं.

युग बदला, बदला ट्वीटिस्तान

ट्विटर. 140 कैरेक्टर वाला फ़ेसबुक. ऐसा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जो अपनी शुरुआत से अब तक सबसे कम बदला गया है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. माने अब ट्विटर में बदलाव होंगे. ऐसा करने के पीछे का मकसद ये है कि अपनी ऑडियंस को बढ़ाने के लिए हर कोई कुछ न कुछ बदलाव कर रहा है. ऐसे में ट्विटर कहीं न कहीं पिछड़ता जा रहा था. जिसपर ट्विटर के प्रोडक्ट मैनेजर टॉड शेरमैन ने कहा “पिछले दस सालों में ट्विटर 140 कैरेक्टर से निकलकर एक ऐसे कैनवास के रूप में सामने आया है जिससे लोग अपने एक्सप्रेशन फ़ोटो, वीडियो, हैशटैग, वाइन और काफी कुछ की मदद से दुनिया तक पहुंचा रहे हैं.” वो कहते हैं कि लोग एक ट्वीट में बहुत कुछ कर रहे हैं. लेकिन वो चाहते हैं कि लोग उसमें और भी बहुत कुछ करें.
इस कोशिश में ट्विटर ने कुछ बदलाव किये हैं:
1. सबसे पहले और सबसे बड़ा बदलाव जो है वो ये कि ट्विटर पर अपने ट्वीट में किसी भी यूज़रनेम को लिखने पर इस्तेमाल होने वाले कैरेक्टर गिने नहीं जायेंगे. मतलब ये कि अगर आप ट्वीट की शुरुआत में ashish नाम के यूज़रनेम को लिखते हैं तो 140 कैरेक्टर में 140 कैरेक्टर बचे रहेंगे.
2. फ़ोटो, जी.आई.एफ़., वीडियो, पोल, या कोट किये हुए ट्वीट भी यूज़रनेम की तरह कैरेक्टर लिमिट पर कोई असर नहीं डालेंगे.
3. आप अब खुद को रीट्वीट या कोट कर सकते हैं.
4. ये बदलाव सचमुच बहुत कुछ बदल कर रख देगा. सोशल मीडिया में @ सिम्बल एक तरह से ट्विटर की देन था. ये कह सकते हैं कि किसी को मेंशन करने के लिए @ सिम्बल को इस्तेमाल करने का चलन ट्विटर ने ही शुरू किया था. वहीं से इसे पॉपुलैरिटी मिली. इस @ सिम्बल को ट्विटर हटाने की सोच रहा है. ये बिलकुल वैसा ही हुआ कि जैसे फेसबुक अपना ‘लाइक’ बटन हटा दे. माने ट्विटर एक तरह से अपनी पहचान ही गायब कर रहा है. लेकिन ठीक है. कुछ सोचा है तो सोच के ही सोचा होगा.

इन सब से होगा क्या?

इन सब से ये होगा कि अब ट्विटर पर और भी ज़्यादा फोटुएं, जी.आई.एफ़., वीडियो देखने को मिलेंगे.
जब आप किसी भी ट्विटर हैंडल का यूज़रनेम बिना @ सिम्बल के लिखेंगे तो वो ट्वीट आपके हर फॉलोवर को दिखेगा. अगर आप अपने रिप्लाई को सिर्फ़ अपने और अगले हैंडल के बीच रखना चाहते हैं तो आप पहले की तरह रिप्लाई बटन पर क्लिक कर सकते हैं. आपके बाकी के फॉलोवर्स उस ट्वीट पर क्लिक करके उस रिप्लाई को देख पायेंगे.
इस बदलाव को इसलिए लागू किया जा रहा है कि आपके रिप्लाई को आपके फॉलोवर भी देख सकें. और साथ ही ट्विटर के @ के निशान को इस्तेमाल करने के स्टीरियोटाइप को तोड़ा जाए.

ये सब कब होगा?

अभी तक इसकी कोई तय तारिख नहीं आई है. कहा सिर्फ इतना गया है कि आने वाले कुछ महीनों में ये बदलाव धीरे-धीरे आते रहेंगे. ट्विटर ऑफिशियल्स ने कहा है कि डेवेलपर्स को पूरा टाइम दिया जा रहा है जिससे वो इन बदलावों से होने वाले परिणामों से निपट सकें.

गांजा पियक्कड़ कोचिंग सेंटर की फीस 6 हजार

हर चीज का सलीका होता है. चाहे वो हुनर गांजा पीने का हो. ऐसा नहीं है कि किसी फुंकनी में धर के तम्बाकू खींच दिए. सलीका सिखाते हैं एक मास्साब. हुन्नरबाज गंजेड़ी. अपना हुनर चेलों में ट्रांसफर करते हैं. लेकिन उसके लिए वसूलते हैं तगड़ी रकम. पूरे 100 डॉलर. यानी करीब 6 हजार रुपए.
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में स्थित है ये गुरुकुल. जिसके प्रिंसिपल साब हैं रेयान. इस स्कूल का नाम है डी सी स्कूल ऑफ मैरी जेन. इसे अच्छे ढंग से चलाने और ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए स्कूल की वेबसाइट भी है. रेयान का कहना है कि हम अपने स्टूडेंट्स को गांजे के रिस्क और फायदे बताते हैं. वो अपने साथ तीन लोग और ला सकते हैं सीमित ऑफर के तहत. उन सबको गांजा खींचने का वाजिब तरीका बताया जाता है.
बताओ गांजा पीना सीखने के 6 हजार रुपये. इंडिया आ जाओ भाई. खैर ये सब लिखते हुए हम चौकन्ने रहे थे. पढ़ने में आप भी रहना. गांजा है बहुत खतरनाक चीज.

100 से ज्यादा रेप करने वाला ढोंगी बाबा परमानंद गिरफ्तार

100 से ज्यादा रेप करने वाला ढोंगी बाबा परमानंद गिरफ्तार



Baba Parmanand of barabanki got arrested for raping more than 100 women

बाराबंकी का ढोंगी बाबा परमानंद तिवारी आखिरकार सतना में पकड़ा गया. उस पर 100 से भी ज्यादा महिलाओं से रेप का आरोप है.
15 दिन पहले एक वीडियो लीक हुआ था. उस वीडियो में परमानंद एक औरत को कपड़े उतारने पर मजबूर कर रहा था. वीडियो में परमानंद की आवाज़ साफ़ पहचानी जा सकती है.
बाबा परमानंद का आश्रम हर्रई धाम बाराबंकी में है. ये रेप का धंधा धर्म की आड़ में चलता था. उसके भक्त मानते थे कि अगर किसी औरत को बच्चा नहीं हो रहा हो तो वह बाबा परमानंद से प्रसाद ले ले, तो उसकी इनफर्टिलिटी खत्म हो जाती है. आंखों पर आस्था की पट्टी बांधकर दूर-दूर से महिलाएं आती थीं. लेकिन उस आश्रम के अन्दर क्या होता था, ये किसी को नहीं पता था.
जब भी कोई औरत बच्चा होने के लिए बाबा का आशीर्वाद लेने आती थी. बाबा उसको अपने आश्रम में एक छोटे से कमरे में ले जाता था. वहां वह उस औरत की कमर पर लाल रंग का कपड़ा बांध कर टोटका करने का नाटक करता था. उस औरत को लगता था कि शायद सचमुच ही कोई हवन या पूजा होगी. लेकिन उसके बाद बाबा औरत को कपड़े उतारने के लिए मजबूर करता था और फिर उससे रेप करता था.
सबसे घिनौनी बात ये कि उस कमरे में एक हिडेन कैमरा भी लगा था. जिसमे रेप की ये घटना रिकॉर्ड हो जाती था. अगर कोई औरत पुलिस में शिकायत करने की बात करती तो बाबा उसे ब्लैकमेल करता था. फिर वो वीडियो किसी को ना दिखाने की शर्त पर औरतों से लाखों रुपए वसूल लेता था. इसमें उसके साथ उसकी पत्नी मधु तिवारी और बेटा विजय तिवारी उर्फ नीतू भी शामिल थे.
कुछ दिनों पहले बाबा का एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. उसके बाद बाबा के ड्राइवर सुशील ने शिकायत की. उसने बताया कि बाबा के आश्रम में औरतों का रेप होता है. प्रोस्टीट्यूशन का धंधा भी चलता है.
इन सबके बाद बाबा भाग लिया. 15 दिनों से फरार था. इस बीच पुलिस को इस तरह के 6 और वीडियो मिले. बाबा के कंप्यूटर में सारे CCTV वाले वीडियोज़ थे. पुलिस ने कहा कि उस पर और भी कुल 12 केस दर्ज हैं.
एक और बाबा पकड़ा गया. आसाराम भी जेल की चक्की पीस रहे हैं. लेकिन ट्विटर देखिए, जब-तब उनके समर्थन में ट्रेंड चलते रहते हैं. समाज की सबसे बुरी बात यही है कि धार्मिक छवियों को लेकर हम कितनी रूढ़ियों में जकड़े हुए हैं. ये कैसा अंध-भरोसा कि बाबा जी इलाज के नाम पर गला दबाए जा रहे हैं और आप हाथ जोड़े बैठे हैं कि हमारी कब्ज दूर हो जाएगी.

मर्दों का रेप कर ब्लैकमेल करते हैं 'मेवाती गैंग

Mewat gangs move kidnap racket to Delhi criminals lure businessmen with phoney deals, then rape them and threaten to release video footage unless they pay a ransom


कभी इंटरनेट पर “रस्ते का माल सस्ते में” या सेकेंड हैंड माल खरीदने के ऐड देखे हो? तो सुनो. दिल्ली पुलिस कैंपेन चलाने वाली है. काहे कि बिना कैंपेन लोगों की समझ में बात आती नहीं. समझाना ये है कि हरियाणा के मेवात से कुछ गैंग आए हैं. वो मालदार लोगों को फोन करके डील करते हैं. नकली वाली. फिर किसी जगह पर बुलाकर किडनैप कर लेते हैं. उनके साथ एनल रेप करते हैं और वीडियो बना लेते हैं. फिर धमकी देकर छोड़ देते हैं कि किसी को बताना नहीं. और ब्लैकमेल करते हुए पैसे वसूलते रहते हैं.
दिल्ली पुलिस ऑफिसियल्स के मुताबिक ये ठगी और ब्लैकमेलिंग का नया तरीका है. दिल्ली में दिल्ली और गुड़गांव पुलिस के सीनियर पुलिस अफसरों की मीटिंग में ये बात पता चली.
दिल्ली पुलिस ने इसमें पिछले साल का एक केस डिस्कस किया. जिसमें एक गुजराती बिजनेसमैन को निशाना बनाया गया था. केस ऐसा था-
“पुरानी दिल्ली पहुंचने के बाद विक्टिम और उसके एंप्लॉई को मिल गई टाटा सफारी. जिसमें दोनों को डीलर के पास जाना था. सफारी में घुसने के कुछ देर बाद दोनों की कनपटी पर कट्टा अड़ा दिया. ले गए किसी अनजाने गांव में. वहां उनको कैद कर दिया गया. इन लोगों ने बताया कि हम कंपनी के ओनर नहीं कर्मचारी हैं. किसी तरह जाकर जान बची.”
इसी तरह एक बिजनेसमैन को किसी औरत ने कॉल कर डील के लिए बुलाया. फिर वो किडनैप हो गया. घर वालों से फिरौती की डिमांड शुरू हो गई.
किस तरह बने ये गैंग
मेवात हरियाणा का पहाड़ी इलाका है. ये लोग पहले कसाई और खान वगैरह खोदने का काम करते थे. लेकिन अवैध कसाईखानों पर बैन लग गया और खान खोदने पर भी. फिर ये हो गए बेरोजगार. पैसा कमाने के लिए जानवर चुराना और गाड़ियां लूटना शुरू किया. उस काम में मेहनत ज्यादा, रिस्क ज्यादा, फायदा कम था. खुद को अपग्रेड कर लिया. और इस मलाईदार धंधे में उतर गए.




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सॉरी अम्मी, मैं निकाह के लिए तैयार नहीं हूं


गंदी बात

The story of a middle class muslim girl who refuses to get married



इस आर्टिकल को निगार खान ने अंग्रेजी में लिख हमें भेजा. हमें लगा इसे हम सबको पढ़ना ही चाहिए. इसलिए ट्रांसलेट किया. निगार दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए कर रही हैं. या यूं कहिए, कर ही लिया. पांच साल पहले दिल्ली आने वाली निगार एक ऐसी जगह से आती हैं, जहां लड़कियों को स्कूल पास करते ही ब्याहने की भूमिका बांधनी शुरू कर दी जाती है. और अगर विरोध न करो, तो फोटो और बायो-डाटा के बेस पर लड़कियों की शादी कर दी जाती है. दिल्ली जैसे तेज़ शहर में अपनी लड़ाइयां खुद लड़ती, परिवार और रिश्तेदारों के कल्चरल बोझ से लड़ती एक लड़की क्या सोचती है, कैसे रहती है, इसे खूब दर्ज किया है निगार ने.



तुम कोई अपवाद नहीं हो

तुम पोस्ट-ग्रेजुएट हो, देश की अव्वल यूनिवर्सिटी से. आधे दशक से इस शहर में रहने के अलावा तुम्हारे पास कोई तजुर्बा नहीं है. तुम खास नहीं हो. तुमने अंग्रेजी लिटरेचर की पढ़ाई की है. और तुम्हारी कजिन जो जूनियर इंजिनियर है, इतनी काबिल है कि उसे खुद से कई साल बड़ा अमीर पति मिल गया.

तुम दिल्ली में जिंदा रहीं

तुमने एक ऐसी जिंदगी जी है, जिसमें तुम्हारे दोस्तों ने तुम्हारे अब्बा को एक क्रांतिकारी के रूप में देखा है. एक ऐसे पिता, जिन्होंने अपनी बेटी को पढ़ने के लिए घर से 500 किलोमीटर दूर भेज प्रोग्रेसिव होने का सबूत दिया है. तुमने अपने कॉलेज में अलग-अलग पद संभाले हैं. इस साल के अंत तक तुम 23 साल की हो जाओगी. तुम एक अच्छी स्टूडेंट रही हो. हमेशा फर्स्ट डिवीज़न पाने वाली. तुम इतनी क्वालिफाइड हो कि अगर नौकरी खोजो, तो खुद को पालने जितना कमा सकती हो.

एक स्थायी घर, अब नहीं है

जबसे तुम बाहर आईं, तुमने हर दिन घर पर दो बार फ़ोन किया. ये तुम्हारी आदत में शुमार था. तुम्हें नहीं पता, कब प्यार पीछे छूटता गया. तुम्हें मालूम नहीं, ये रिश्ते क्यों बचे हुए हैं. सिर्फ फर्ज की अदायगी के लिए, या सिर्फ प्रेमरहित लगाव में. तुमने खुद को सिखा दिया है कि ये प्यार ही है. तुमने फ़ोन पर खुश होकर बात करना सीख लिया है. जबकि हजारों चीजें हर दिन तुम्हें नीचे खींचती रहती हैं. तुम्हें लगता है कि तुम खुदगर्ज हो, क्योंकि घर से पैसे लेती हो. फिर तुम याद करती हो कि तुमने भी इंटर्नशिप और ट्यूशन से पैसे बनाए थे. लेकिन सारे पैसे घर भेज दिए. ये कह कर कि मैं इनका क्या करूंगी.

तुम बदल गई हो

तुम्हारा फ़ोन तुम्हारा नया साथी है. इयरफ़ोन लगाए तुम दिन भर उसी में घुसी रहती हो. तुम भूल जाती हो उन रिश्तेदारों की सुनना, जो आज तक कभी तुमसे खुश नहीं रहे. तुम अगर उन्हें सुन भी लो, वो तो भी खुश नहीं होते. न ही तुम्हें बेहतर महसूस होता है. तुमने लड़की होते हुए उनके बेटों से ज्यादा पढ़कर उनकी नफरत कमाई है. तुमने नफरत कमाई है तुम्हारी नाक में नकेल डालने के लिए उनके भेजे गए रिश्तों को ठुकराकर. तुमने हमेशा यही माना है कि तुम एक ऐसे लिबरल समूह का हिस्सा हो जो औरत को मौन कर देने वालों के खिलाफ लड़ते हैं.

चीज़ें क्यों ख़राब हो गईं

जबसे तुम्हारे और घर वालों के बीच का संवाद मरने लगा, तुमने उन दिनों को बार-बार याद किया, जब बिना बाजू वाली फ्रॉक में तुम्हें सब्जी मंडी ले जाया जाता था, घर की सब्जियां खरीदने. तुम्हें मालूम नहीं पड़ा कि तुम्हारे लिए अपने ही घर में घूमना कब अपराध हो गया, तब, जब तुम्हारे रिश्तेदार अपने मिलने वालों के साथ तुम्हारे घर आते. फिर भी तुमने कभी सर नहीं ढका. तुमने जींस पहनना चाहा तो घर वालों ने पहनने दिया. तुम्हारी कई सहेलियां तुम्हारे अम्मी-अब्बा से खूब बातें करतीं. लेकिन एक लड़के दोस्त का तुम्हारे घर पर डिनर पर आना तुम्हारे लिए कितना कुछ खराब कर सकता है, तुम्हें मालूम न था.

अब्बा, जो हमेशा साथ रहे

तुमने उनसे अपने सारे डर, शक, शुबहे सब कहे हैं. उन्होंने दुनिया देखी है. वो तुम्हारी क्षमताओं में विश्वास करते आए हैं. फिर ऐसा क्या हुआ कि जिस सड़क पर वो तुम्हें हाथ पकड़ कर आगे तक लाए थे, उसी सड़क के एक मोड़ पर उन्होंने तुम्हारा साथ छोड़ दिया. एक समय वो अपनी बेटी को देश के बाहर भेजना चाहते थे, पढ़ने के लिए. वो तुम्हें ईंधन देते रहे, पढ़ने, आगे बढ़ने का. लेकिन अब वो वही पुराने अब्बा नहीं रहे. उन्होंने समाज के प्रेशर के चलते हथियार डाल दिए. आखिर एक कुंवारी लड़की को पराए मुल्क में अकेले कैसे भेज सकते हैं.

लिटरेचर, एक डिस्टोपिया

तुमने लिटरेचर को सूती कुर्ते और साड़ियां पहनने वाली प्रोफ़ेसरों से समझा. वो प्रोफेसर, जिन्होंने अपनी मर्ज़ी से शादी की, नहीं की, या खराब शादियों में रहने से बेहतर तलाकशुदा जिंदगी को पाया. तुमने उनसे प्रेम किया, उनके जैसा बनना चाहा. उस समय हर चीज़ से लड़ जाना आसान लगता था. तुमने तब नहीं सोचा कि आने वाला समय कैसा होगा. जिन आदर्शों के बल पर तुम जीती रहीं, तुम्हारे रिश्तेदारों के लिए वो बकवास थे. तुम उनमें फिट नहीं होती थीं.

निकाह, एक सच

तुम्हें मालूम था कि वो दिन भी आएगा. तुम तैयार थीं, शादी के सवाल के लिए. तुम्हें सच तो मालूम ही था. वो सच जो सैकड़ों साल पहले जेन ऑस्टेन ने अपने नॉवेल्स में लिख दिया था. वो सच जिसकी वजह से तस्लीमा नसरीन को उनके देश से निकाला गया. वो सच जिसकी वजह से कुछ दिनों पहले पाकिस्तान की सबीन महमूद को गोली मार दी गई. लड़की होने का सच. 30 से ज्यादा उम्र का लड़का तुम्हारे दरवाज़े खड़ा है तुमसे शादी करने के लिए. वो लड़का जो सिर्फ एक ग्रेजुएट है. वो लड़का जिसने अपनी जवानी मिडिल ईस्ट में पैसे कमाने में बिता दी. वो लड़का जिसे तुम जानती तक नहीं. तुम्हें लड़के पर अफ़सोस नहीं होता. बल्कि इस समाज पर होता है जो इन शादियों को बढ़ावा देता है. तुम सोचती हो कि ये समाज क्यों चाहता है कि खुद से कम पढ़े लड़के से शादी के लिए तुम हां कर दो. रिश्तेदारों की दलीलों से तुम हताश हो जाती हो. और जब देखती हो कि उन लोगों में तुम्हारी अम्मी भी शामिल हैं, तुम्हारे हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं.

सबसे बड़ा सवाल

तुम इतनी हताश हो कि अब तुम्हें गुस्सा भी नहीं आता. न रिश्तेदारों पर, न अम्मी पर. पर अपने होने पर खीज होती है. तुम्हें पता है तुम एक लड़की हो. तुम अपने तरीके से फेमिनिस्ट रही हो. तुमने अपने आप को दूसरों से बेहतर माना है. ये सच है कि तुम सिगरेट या शराब नहीं पीतीं, ड्रग्स नहीं लेतीं, सेक्शुअली एक्टिव नहीं हो. लेकिन ये तुम्हारे जीने का तरीका है. तुम फिर भी धार्मिक नहीं हो. और ऐसा भी नहीं है कि तुमने मर्दों से नफरत की है. तुमने बहुत से मर्दों को चाहा, कुछ से दोस्ती की, और उससे भी कम मर्दों से प्रेम किया. तुम्हें उन दोस्तों को देखकर दुख होता है जो अपनी शर्तों पर नहीं जी पातीं. तुम्हारे कई पक्की सहेलियां रहीं, जो ये सब करती थीं. तुमने उनकी इज्ज़त की. तुम्हें तुम्हारे खोल से निकालने के लिए. उन्होंने तुम्हें जीना सिखाया, ये सिखाया कि जिस बोझ को घर से लेकर आई हो, उसे उतार फेंको.
ऐसा नहीं है कि तुम अपने अम्मी-अब्बा से प्यार नहीं करती. और वो सवाल भी नहीं है. सवाल ये है कि पांच साल तक पढ़ने-लिखने के बाद तुम्हें बिना तुम्हारी मर्ज़ी के शादी के नर्क में क्यों धकेला जा रहा है. तुम शादी के लिए मना करती हो तो उन्हें लगता है जरूर कोई और लड़का होगा. वही लड़का होगा जो उस रात घर पर खाने पर आया. वरना तुम शादी के लिए क्यों मना करती. तुम समझ नहीं पाती हो कि क्या एक मर्द के रिश्ते को तभी ठुकराया जा सकता है, जब किसी दूसरे मर्द से प्यार हो. क्या एक उम्र के बाद लड़की का अकेला, अपने लिए जीना काफी नहीं?
तुम्हें मालूम नहीं तुममें ऐसी क्या कमी है, कि तुम्हें बकरे की तरह जल्द से जल्द किसी के घर बांधा जाना जरूरी है. तुम्हारा शरीर थुलथुल है, कद छोटा है, इसलिए, सिर्फ इसलिए तुम्हारी शादी किसी से भी कर देनी चाहिए? दिल्ली में 5 साल बिताते हुए, अपनी हर छोटी-बड़ी लड़ाई खुद लड़ते हुए भी तुम्हें एक ऐसी लड़की की तरह देखा जाता है जिसकी जल्द से जल्द किसी अमीर लड़के से शादी कर देनी चाहिए. तुम अपने रिश्तेदारों को समझा नहीं सकतीं कि तुम सिर्फ शादी के लिए तैयार एक लड़की नहीं हो. तुम एक ऐसी मुसलमान लड़की हो, जो बहुत सी लड़कियां नहीं हो पाईं. पढ़ी-लिखी, सशक्त. तुम अपने खानदान की पहली लड़की हो जिसे पढ़ने के लिए शहर के बाहर भेजा गया.
तुम खुद के फैसले लेने वाली आज की लड़की हो.